Сообщение # 958
Группа: Проверенные Заядлый турист Сообщений: 86 Награды: 1 Репутация: off |
Эмине | Дата: Среда/ Çarşamba, 08.11.2017, 15:18 Сообщение # 964 | ||
| Урок 1. проверено Teşekkürler | ||
Оффлайн/ Off- line |
Cokoliha | Дата: Воскресенье/ Pazar, 19.11.2017, 14:18 Сообщение # 963 | ||
| ders 3 Упражнение: проверено ders 4 проверено ders 5 проверено К.Р.5
проверено Ders 6 проверено Сообщение отредактировал Эмине - Среда/ Çarşamba, 15.11.2017, 13:47 | ||
Оффлайн/ Off- line |
Renesse | Дата: Среда/ Çarşamba, 15.11.2017, 15:57 “माफिया क्वीन ऑफ मुंबई” यह किताब हुसैन जैदी द्वारा लिखी गई थी। आज हम जानेंगे, गंगुबाई की कहानी कि कितना संघर्ष इन्होंने अपने जीवन में देखा और किस तरह अपनी जिंदगी जी। *परिचय……. गंगुबाई काठियावाड़ी का पूरा नाम गंगा हरजीवनदास काठीवाड़ी है। उनका जन्म 1939 में गुजरात में हुआ था। उनका जन्म एक अच्छे खासे परिवार में हुआ था। उनके पिता एक बैरिस्टर थे। बचपन से उनका पालन पोषण बहुत अच्छे से हुआ है। उनके परिवार वाले उन्हे अच्छे से पढ़ाना लिखाना चाहते थे। परंतु गंगुबाई को पढ़ने लिखने में कोई रुचि नहीं थी। बचपन से ही उनकी रुचि हीरोइन बनने में थी। वह एक हीरोइन बनना चाहती थी। जब गंगुबाई 16 साल की थी। तब उन्हे अपने पिता के अकाउंटेंट से प्यार हो गया था। जिनका नाम था रमंडीकलाल। दोनो एक दूसरे से प्यार कर बैठे थे। और यह बात गंगुबाई ने अपने घर पर भी सबको बताई थी। परंतु परिवार वालो ने इस रिश्ते को स्वीकार नहीं किया। जिसके बाद गंगुबाई उस अकाउंटेंट के साथ घर छोड़कर निकल पड़ी। वह दोनो मुंबई चले गए और वहा दोनो ने एक दूसरे से शादी करली। यही से गंगुबाई का पूरा जीवन बदल गया था। *टूटा दिल….. गंगुबाई अपने घर को छोड़कर रमंडीकलाल के साथ मुंबई आ गई थी। जहा उन्होंने एक दूसरे के साथ शादी भी करली थी। परंतु यही उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट था। जब उन्हे उनके प्यार से सबसे बड़ा धोखा मिला। रमंडीकलाल ने गंगुबाई को कमाठीपुरा में बेच दिया था। गंगुबाई जिंदगी के उस मोड़ पर खड़ी थी जहा से वापिस जाने का उनके पास कोई रास्ता नही था। उन्होंने अपनी पीछे की सारी जिंदगी को भुला कर कमाठीपुरा की जिंदगी को अपना लिया था। उस समय वह पूरी तरह से टूट चुकी थी। क्योंकि वह अपने घर वालो को खुद छोड़कर आई थी। और जिसके साथ आई थी उन्होंने उसे इतना बड़ा धोखा दे दिया था। कमाठीपुरा में बिकने के बाद वह एक सेक्स वर्कर का काम करती थी। जो कि उनकी जिंदगी का सबसे मुश्किल समय था। उन्होंने यह सब अपने सपने में भी नही सोचा था कि कुछ ऐसा भी उनके साथ कभी हो सकता है। पर जिंदगी का कड़वा सच मान कर उन्होंने इसे अपनाया था। *माफिया क्वीन ऑफ मुंबई…….. गंगुबाई जब सेक्स वर्कर के तौर पर काम करने लगी तो वह कुछ समय बाद कोठेवाली कहलाने लगी। वह वेश्यालय में किसी भी लड़की पर अपना हुकुम नही चलाती थी। यहां तक कि कोई अगर किसी लड़की को जबरदस्ती उनके कोठे पर बेच भी जाता था तो वह उस लड़की के घर वालो तक उसे पहुंचाने में मादा करती थीं। और जो भी उनके साथ रहा करती थी। उनका वह बहुत ध्यान रखती थीं। उनकी जिंदगी में इतना कुछ होने के बावजूद भी वह किसी पर जोर जबरदस्ती का अंजाम जानती थी। और इसी कारण वह हर किसी की मदद करती थी। जब गंगुबाई 28 साल की थी तब वह शीला के वेशाल्य में रहती थी। और एक पठान उनके बारे में पूछते हुए वहा तक पहुंचे थे। वह दिखने में बहुत लंबे और अजीब दिखते थे। वह आम लोगो की तरह नही थें। वैसे तो शीला उन्हे गंगुबाई तक कभी पहुंचने नही देना चाहती थीं। परंतु एक बार उस पठान ने शीला को डरा धमका कर गंगुबाई के पास जाने की जिद्द की। जिसके बाद शीला भी उन्हे रोक नही पाई। *पठान का अत्याचार…….. जब पठान गंगुबाई से मिलते तो अक्सर वह उन्हे चोट पहुंचाते। और गालियां भी देते रहते थे। और उसके बाद उनके हक की कमाई भी उन्हे नही दिया करते थे। ऐसे करते करते गंगुबाई की हालत इतनी बिगड़ गई कि उन्हे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। अस्पताल में उनका कई दिनों तक इलाज चला और जब वह अस्पताल से लौटकर आई तो उन्होंने पठान का सारा चिट्ठा इक्कठा कर लिया था। जिसके बाद उन्हे यह पता चला कि वह एक डॉन जिसका नाम करीम लाला है उनके लिए काम करता है। गंगुबाई ने करीम लाला के आगे जाकर मदद मांगी। करीम लाला दिल के बहुत अच्छे थे। उन्होंने गंगुबाई को तुरंत अपनी बहन बना लिया और उनकी मदद भी की। करीम लाला ने पठान को बहुत पीटा और सबके आगे यह एलान किया कि गंगुबाई अब उनकी बहन है। अगर किसी ने भी उन्हे कोई परेशानी पहुंचाने की हिम्मत की तो वह उसे छोड़ेंगे नहीं। *वेशालय से निकाले जाने पर उठाई आवाज……… *आदर…… गंगुबाई ने जब नेहरू जी से बात की थी तब नेहरू ने उनसे वादा किया था कि वह उनके वेशालय को कमाठीपुरा से नही हटाएंगे। जिसके बाद किसी ने उनके वेश्यालय को हाथ तक नहीं लगाया था। गंगुबाई कहा करती थी कि उन जैसी औरतों को कभी किसी इंसान द्वारा इज्जत नहीं दी जाती। जब कि वह अपनी जिंदगी में कितना कुछ सहन करती है। वह आम औरतों को मर्दों की जलीलता से बचाती हैं। यह सब उन्होंने एक भरी सभा में कहा था। जिसके साथ उन्होंने यह भी कहा थी कि वेश्यो के लिए भी हर व्यवस्था होनी चाहिए। वह भी एक इंसान है। जो मर्दों की जरूरतों को पूरा करती है। अपनी जिंदगी में उन्होंने कई अच्छे काम किए जिसके कारण आज भी उन्हे आदर के साथ याद किया जाता हैं। भले ही उनकी मृत्यु हो गई है परंतु वेशाल्यो में उनकी मृत्यु के बाद उनकी फोटो लगाई गई थी। और लोग उन्हे हमेशा इज़्जत के साथ ही याद करते है। |